000 | 01677nam a22001937a 4500 | ||
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005 | 20250304100923.0 | ||
008 | 240223b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9788192850825 | ||
040 | _cNational Institute of Technology Goa | ||
082 |
_a491.435 _bSIN/VYA |
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100 | _aSingh, Brajkishor Prasad | ||
245 | _aVyavharik patra-lekhan kala | ||
250 | _a1st | ||
260 |
_aNew Delhi: _b Vidya Vikas Academy, _c 2022 |
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300 |
_b144p.: 8x10x1; Hard cover _c _e |
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520 | _aकिताब के बारे में: पत्र-लेखन कला पत्रों का मानव-जीवन से सीधा संबंध है। शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो, जिसे जीवन में कभी पत्र लिखने की आवश्यकता न पड़ी हो। अगर किसी को पत्र लिखने का अवसर न मिला हो तो प्राप्त करने का तो अवश्य ही मौका मिला होगा। आम आदमी के बीच आज के इलेक्ट्रॉनिक साधनों के कारण पत्र भले ही अति महत्त्वपूर्ण नहीं रह गया हो, लेकिन सरकारी कार्यालयों में आज भी इसकी आवश्यकता ज्यों-की-त्यों बनी हुई है, बल्कि और बढ़ गई है। | ||
650 |
_2Hindi _aHindi; Letter writing; Letter; Hindi language |
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942 |
_2ddc _cBK _n0 |
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999 |
_c5031 _d5031 |